श्रीमद् भगवद्गीता – अध्याय एक – श्लोक – 3

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्‌ । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ शब्दार्थ: हे आचार्य ! पाण्डुपुत्रों की विशाल सेना को देखे, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित  किया है । भावार्थ: दुर्योधन अपने गुरु द्रोणाचार्य के समीप जाकर उन्हे पाण्डवो की सेना किस प्रकार…

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श्रीमद् भगवद्गीता – अध्याय एक – श्लोक – 2

संजय उवाच   दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्‌ ॥ शब्दार्थ: संजय ने कहा – हे राजन ! पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे । भावार्थ: पांडवो की सेना व्यूह का निरीक्षण करके दुर्योधन अपने गुरु…

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श्रीमद् भगवद्गीता – अध्याय एक – श्लोक – 1

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाच्श्रैव किमकुर्वत संजयं ॥ ? ॥ शब्दार्थ: धृतराष्ट्र ने कहा – हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र मे युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ? भावार्थ: भारत के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण “महाभारत”, वैदिक काल मे घटित…

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